एक कहानी जो पहले से लिखी गयी...!!


जब कभी भी
सोचता हूँ
बैठ कर एकांत में,
मैं आया हूँ
क्यों इस जहांन,
क्यों इस प्रकृति में
मेरा निर्माण हुआ है,
सच मे कोई उद्देश्य है,
या यूं ही भेज दिया गया हूँ,
ये कहानी पहले
लिखी जा चुकी है,
या अब मुझे लिखना है,
अगर लिखी जा चुकी है,
तो किसने लिखी है,
ओर मुझे लिखना है
तो ये मेरे हिसाब से
क्यों नही चल रही,
अब तक का सफर
तो मेरे हिसाब से
नहीं लिखा गया है,
तो में समझ लू 
की ये कहानी
पहले से लिखी
जा चुकी है,
फिर एक सवाल
मन की कोरो
पर उछाल रहा है,
इस कहानी के लिए
मुझे मुख्य नायक
क्यों चुना गया है,
क्या इसमें भी कोई
रहस्य छिपा है,
शायद ये कहानी
रहस्य ही रहेगी हमेशा,
बड़ा अफसोस होता है,
मैं जब जब
कुछ सोचता हूँ,
कुछ चाहता हूँ,
कुछ पाने की रणनीत बनाता हूँ,
तब तब परिणाम
विपरीत पाता हूँ,
अब तो शायद
चाहते कम हो गयी है,
ओर सोचता भी कम हुँ,
भविष्य के गर्भ में
जो लिखा है,
उसे जानना तो चाहता हूँ,
लेकिन अब उम्मीद
नही रख पाता की
वो मेरे अनुसार होगा,
विपरीत परिणाम
पाने के बाद भी,
मेने अपनी कहानी को
एक नया मोड देने का
एक छोटा सा
प्रयास किया लेकिन
शायद वो भी
अब विफल होता
दिख रहा है,
अब नियति से
एक ओर प्रश्न
पूछना चाहता हूँ,
इन अधूरे किस्सों का
मेरी कहानी में
आना जरूरी था,
या फिर ये मेरी
चाहतो का हिस्सा है,
जिन्हें मेरे अपनी ओर
जबरदस्ती से खिंचा है,
या कहानी राचेयता
ने दूर किया है,
बहुत सी उलझनों के
साथ जीवन चल रहा है,
क्या कभी इन
प्रश्नों के उत्तर
मिल पाएंगे,
या फिर ऐसे ही इस जहां
हम विदा ले जाएंगे...!!

पँखराज...!!

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