चलो......
एक पूरी सी कहानी लिखते है
हम दो अधूरे किरदार मिल कर,
तुम्हें बस आना है मेरी ज़िंदगी में
फिर से एक गुलाब लेकर,
दोस्तों से छुपते-छुपाते,
किसी किताब में रखकर,
एक अधूरी चिठ्ठी के साथ,
जिस पर कुछ बेमतलब की कविताएं लिखीं हो,
जिसका मेरे वज़ूद से कोई लेना देना ना हो,
लेकिन फिर भी मैं पढ़ कर मुस्कुरा दूं,
और सोचूं की तुमने मेरे लिए ही लिखीं है,
हां, वो और बात है की मुझे पता होगा
की तुम कविताएं नहीं लिखती हो,
फिर उस गुलाब को मैं
अपनी किसी ख़ास डायरी में छुपा लूंगा,
जहां किसी की भी सालो-साल नज़र ना पड़े,
यूं ही एक रोज तुम्हारी गली के चक्कर लगाते हुए,
कभी चोरी से मुझे पकड़ लेना,
खिड़की से अचानक झांककर,
ऐसे की मानों मुझे मेरी
दुआ कबूल सी लगने लगे,
और तुम्हें भी तुम्हारे बिना पूछे हुए
सवाल का जवाब हां में मिल जाये,
बस रूहानी इश्क़ हो,
इशारों के रिश्ते हों,
मुस्कुराहटों से ज़ाहिर हों,
ओर हाँ,
ऐसा अधूरा सा प्रेम हो
कि एक दिन तुम बिन बताए
किसी अजनबी शहर चली जाओ
और मैं भी गली के चक्कर लगा कर थक जाऊ,
एक रोज तुम्हारी कोई दोस्त मुझे बताये,
कि तुम शहर छोड़ कर चली गयी
कभी ना लौट आने के लिए,
धीरे धीरे कहीं खो जाना तुम दुनिया की भीड़ में,
और मैं भी इस शहर में कुछ दिन,
तुम्हारी याद में कुछ गीत गुनगुनाऊँ,
और फिर एक नयी दुनिया में खो जाऊं,
और इस तरह इश्क़ भी मुकम्मल होगा,
हां, किरदार अधूरे होंगे पर कहानी पूरी होगी,
जिंदगी...... धमनियों में दौड़ती शाम
और रूह में बसे उजाले की कशमकश है,
मैं तुम्हारे सांसों की लौ बनना चाहता हूँ....!!
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