ये रास्ते जहाँ तुम ओर मैं मिलते थे

रास्ते......
अनजाने में तुम्हारे साथ
इन्हीं रास्तो पर कई दाफा घुमा हूँ मैं,
इन्ही रास्तो पर तुम्हारा इंतेजार किया करता था,
याद है मुझे तुम हर बार देर से आती थी,
ओर फिर मुझे एक प्यारा सी मुस्कान देकर,
क्यों देर हुई इस बात को 
विस्तार से समझती थी,
ये जानते हुए भी की मुझे
तुम्हारी देर से आने की कहानी को
सुनने में कोई दिलचस्पी नही है,
लेकिन फिर भी तुम अपना पक्ष जरूर रखती थी,
तुम्हारी इन्ही बातो के खत्म होते होते,
हम अपना आधा सफर तय कर लेते थे,
सफर हां सफर,
सफर ही तो था वो,
जब तुम मेरी बाइक की पिछली सीट पर बैठकर,
अपने हाथों को मेरे कंधो पर रखती थी,
ओर अपने होटो को मेरे कानों तक ला कर,
मुझसे प्यार भरी बातें किया करती थी,
शायद में तो तुम्हे सुनता ही रहता था,
मुश्किल से कुछ कुछ बोल पता था,
पर मुझे तुम्हारी बाते सुनना पसंद भी था,
पसंद थी मुझे वो प्यार भरी बातें,
वो तुम्हारे चेहरे की हँसी,
वो तुम्हारा प्राकृतिक सौंदर्य,
हां प्राकृतिक क्योंकि तुम्हे पसंद नही था,
अपने आप को ज्यादा सवारना,
तुम जैसी थी बस वैसी भी रहती थी,
कोई बनावटी श्रृंगार नही करती थी,
में जब भी तुमसे मिलता था,
अक्सर तुमने देखा होगा,
मैं तुम्हे घंटो सिर्फ देखा करता था,
तुम मेरे सामने रहती थी तो
में बस तुम्हारा चेहरा देखता रहता था,
चेहरा तो तुम्हारा आज भी
मेरे नजरो के सामने ही है,
आंखे बंद हो या खुली में तुम्हे देख लेता हूँ,
बस तुम्हे स्पर्श नही कर सकता हु,
तुम्हारे हाथो को छू नही सकता हु,
याद होगा तुम्हे,
में जब भी तुम्हारे साथ बैठा रहता था,
तो तुम्हारे हाथों को थामे रखता था,
तुम्हारे हाथों को अपने हाथों में इस कदर थामे रखता था,
जैसे में कभी उन हाथो को छोड़ना ही नही चाहता था,
वो छुअन आज भी में महसूस कर लेता हूं,
मैं तुम्हे आज भी याद करता हु,
उतना ही जितना उन दिनों करता था,
बस फर्क इतना है, 
उन दिनों में तुम्हे अपना समझता था,
ओर आज मुझे यर पता है कि 
तुम मेरे नही हो,
ओर ना कभी मेरे बन पाओगे,
सुनो,
आज तुम्हे याद दिलाता हूं वो दिन,
एक रात तुम मुझसे बहुत नाराज हो गयी थी,
उस रात तुमने मेरे किसी भी मैसेज का जवाब नही दिया,
सुबह होते ही तुम्हे किसी काम से जल्दी जाना था,
तुम घर से निकल गयी थी,
में तुमसे लगातार संपर्क करने की कोसिस कर रहा था,
तंग आकर तुमने आखिरकार मुझसे बात कर ही ली,
तुम जहां जा रही थी ठीक उसी तरफ मुझे भी जाना था,
ओर फिर मैं निकला तुमसे मिलने के लिए,
उस दिन तुम मुझसे सिर्फ 30 मिनट की दूरी पर थी,
लेकिन तुम तक पहुचने में मुझे पूरे 3 घंटे लग गए थे,
शायद कुछ कुछ तुम्हे याद आ रहा होगा
में किस दिन की बात कर रहा हूँ,
तुम मुझसे गुस्सा थी लेकिन फिर भी
तुमने मेरे इंतेजार किया,
उस रोज उस कैम्पस में,
हमारे से कुछ दूर एक दोस्तो का ग्रुप मजाक मस्ती कर रहे थे,
ओर तुम सिर्फ उन्हीं की तरफ देख रहे थे,
मेरी तरफ नही देख रही थी,
ओर में बार बार तुम्हारा चेहरा मेरी तरफ कर रहा था,
कुछ पल इसी तरह मनाने में गुजरा,
ओर फिर तुम्हारी आंखे नम हो गयी,
बस फिर क्या
तुम मेरे गले लग कर रोने लग गयी थी,
वो तुम्हारे चंद अंशु जो मेरे शर्ट पर गिरे थे,
उन अशुओ के निशान शायद लुप्त हो गए है,
लेकिन मेरी आँखों मे वो अंशु आज भी जीवित है,
तुम्हारा मुझसे यू लिपट कर रोने,
ओर फिर मुझपर गुस्सा करना,
वो पल मुझे आज तक बहुत पीड़ा देते है,
उस रात क्या कहा था मेने,
बस इतना ही ना,
की कभी हम दोनों को अलग होना पड़ा तो,
हम दोनों जीवन साथी ना बन पाए तो,
हम दोनों का रिश्ता अटूट बंधन ना बन पाया तो,
बस इतना सुन कर तुम तो गुस्सा हो गयी थी,
लेकिन क्या गलत सवाल किया था मैंने,
आज देखो,
हम अलग हो ही गए है ना,
ओर फिर भी हम जी रहे है,
वो शब्द कहना मेरे लिये भी आसान नही था
ओर मुझे आभास हो रहा था,
भविष्य में घटने वाली घटनाओं का,
दुखी में भी था,
बस अपना दुख
कहने की कभी कोशिस नही करता हूँ,
आज सालो बाद सोचता हूं तुम्हे
अंधेरी रात के सन्नाटे में,
पूछता हूं खुले आसमान से,
पूछता हूं शीतल लहराती हवाओ से,
पूछता हूं दीवारों से,
की क्या तुम भी मुझे इस तरह याद करती होगी,
क्या तुम भी अकेले बैठ कर सोचती होगी मुझे,
क्या तुम भी याद करती होगी हमारी मुलाकातों को,
क्या तुम्हारी आंखे भी भर आती होगी,
मुझे याद करते हुए,
में ये सवाल पूछता हूं,
लेकिन मुझे इसका कोई जवाब नही मिलता है,
लेकिन फिर भी में पूछता हूं,
ओर पूछता रहूंगा,
शायद कभी जवाब मिल जाये,
तुम्हे भूलना मेरे लिए आसान नही होगा,
विडंबन तो देखो में
किसी के साथ अपनी इस भावना को जाहिर भी नही कर सकता हु,
हा याद है मुझे,
हमे अपने रिश्ते हो गुमनाम जो रखना है,
तुम किस हाल में हो यर खबर में रखता हूं,
तुमसे बात नही कर पता तो क्या हुआ,
तुम केसी हो कहा हो इस बात का पता रखता हूं,
में चाहता हु बहुत अपनी ये भावना तुम्हे बताना,
लेकिन शायद हम मजबूर है,
अब कुछ भी व्यक्त नही कर सकते है,
में अपनी भावना को लिख तो सकता हु,
बस इसी लिए जो कुछ भी खयाल आया लिख दिया,
ओर मुझे ये विश्वास है,
जिस दिन तुम इसे पढ़ोगी,
शायद तुम्हारी आंखे फिर नम हो जाएगी,
उस वक़्त में तुम्हारे पास नही रहूंगा, 
लेकिन तुम मेरा स्पर्श जरूर महसूस करोगी,
अपने गालो पर जहा तुम्हर अंशु आ कर रुक जाएंगे....!!

यूँ भी मशरूफ जिंदगी कर ली
कुछ न कर पाए आशिक़ी कर ली...
देख चेहरा मेरी हक़ीक़त का 
मेरे ख्वाबो ने खुदकुशी कर ली..!!

🖤꧁पँखराज꧂🖤⁩

टिप्पणियाँ