अभी कही पड़ी तो सोचा पोस्ट कर दु... आप सब भी पढ़े.....!!
रात को पलंग पर लेटे-लेटे आँख भर तो आई होगी
फिर दिल पर पत्थर रखा होगा और भूल गई होगी भला क्यूँ याद करूं कौन है
वैसे नींद तो ठीक-ठाक आई होगी
वैसे यादों ने पीछा कहां छोड़ा होगा तुम्हारा
एक दो बार तो मेरी तस्वीर सामने आई होगी
कुछ लम्हें भी याद होंगे कुछ मुलाकात भी
फिर अचानक से याद न करने की याद तो आई होगी
वैसे नींद तो ठीक-ठाक आई होगी
गुज़र रही होगी जिन्दगी सानो शौकत में अब
मेरे साथ गुज़ारी वो मफलशी की जिन्दगी में थकान तो आई होगी
बता दी है औकात मेरी तूने
वैसे मेरी हर एक बात की याद तो आई होगी
वैसे नींद तो ठीक-ठाक आई होगी
तू कहती थी मेरा और तेरा दिल एक है हम साथ हैं
फिर तो ये दिल टूटने की भी आवाज तो आई होगी
मत बोल कुछ मुझे पता है क्या बोलेगी
तेरे एक तरफ़ कुँआ होगा और एक तरफ खाई होगी
वैसे नींद तो ठीक-ठाक आई होगी
ऐसे तो नहीं बिछड़ी होगी
कुछ मुश्किल तो आई होगी
फिर हँसी होगी ठहाका लगाया होगा और सो गई होगी
वैसे नींद तो ठीक-ठाक आई होगी
तूने तड़पते देखा तो होगा मुझे,
मेरे रोने की आवाज भी तो आई होगी
कैसे चुप रही होगी तू
शर्म तो आई होगी
वैसे नींद तो ठीक-ठाक आई होगी
जब मिली होगी नये से एक रोज तू
पुरानी मोहब्बत भी तो याद आई होगी
कैसे पत्थर रखा होगा दिल पर
कैसे मुस्कराई होगी
वैसे नींद तो ठीक-थक आई होगी
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