भूल हुई जो मैंने तुमको अपना समझ सताया है,
अपना मान के मैंने तुमको हर एक राज बताया है,
भूल पे अपनी में पछताने कौ हूँ अब तैयार प्रिये,
छोड़ो गुस्सा अब तुम बाटो अपनों में बस प्यार प्रिये....!!
मित्र तुम्हारे जैसा मिलना मुश्किल एक हजारों में,
जैसे सूर्यमुखी का फूल नहीं मिलता है बहारों में,
मेरी गलती है तुमको रुलाया मेने हर बार प्रिये,
छोड़ो गुस्सा अब तुम बाटो अपनों में बस प्यार प्रिये....!!
सोच समझकर नहीं बोलता मूर्ख बड़ा अज्ञानी हूँ,
दिल में पाप नहीं मेरे बहता नीरकंचन पानी हूँ,
अनजाने में शब्द मेरे करते तुम पर प्रहार प्रिय,
छोड़ो गुस्सा अब तुम बाटो अपनों में बस प्यार प्रिये....!!
छोड़ के सब शेतानी खुद में कुछ परिवर्तन लाया हूँ
मैं नादानी की पुड़िया को नदी में फेंक के आया हूँ
नहीं कोई उम्मीद ना रखना अब तुम पर अधिकार प्रिये,
छोड़ो गुस्सा अब तुम बाटो अपनों में बस प्यार प्रिये....!!
बिन कुछ बोले चुप होकर खामोश नहीं हो जाना तुम,
गर जो माफी मांगने आऊं तो हल्का सा मुस्कुराना तुम,
मेरा करो विश्वास नहीं दिल दुखाऊंगा इस बार प्रिये,
छोड़ो गुस्सा अब तुम बाटो अपनों में बस प्यार प्रिये.....!!
पंखराज.....!!
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