वो तड़पा मुझे खुद में देख कर....!!

मेरी याद को एक कोने में फेंक कर,
वो तड़पा मुझे खुद में देख कर....!!

प्यार जताता नहीं वो उल्फत से यु तो,
तस्वीर राखी है एक मगर सहेज कर....!!

दिल लूट जाता है यु ही इन रहो में,
गुजारिये इश्क़ की गलियों से देख कर....!!

उसको इंकार कब था मेरे वादों से,
बदली उसने बात मेरी लाचारी देख कर....!!

पत्ते शाख को बेलिबास कर गिर गए,
हैरान हूँ कमाल-ए-पतझड़ को देख कर....!!

ना धीरे कर ए जहन मेरे दर्द पर पकड़,
थोड़ा और जोर लगा, जुल्म कुछ और तेज़ कर...!!

पंखराज....!!

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