वो जो तारो में मुझे रोज नजर आती है,
बदलो में वो घटा बन के यु छा जाती है,
उनकी यादो में जब भी मैं कलम उठता हूँ
उसने भी याद किया हिचकिया बताती है....!!
पंखराज....!!
वो जो तारो में मुझे रोज नजर आती है,
बदलो में वो घटा बन के यु छा जाती है,
उनकी यादो में जब भी मैं कलम उठता हूँ
उसने भी याद किया हिचकिया बताती है....!!
पंखराज....!!
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