मुझे जीना नहीं आता.......!!

सच, जीना नहीं आता, मुझे बसना नहीं आता,
दुनिया के रिवाजों पे, मुझे चलना नहीं आता !

हँस नहीं पाता, ज़माने के दर्द पर अब भी
सच है, बेरहमी से, मुझे हँसना नहीं आता !

शोहरत की चाह, न ऐसी ख़्वाहिश ही है कोई
ज़िन्दगी करना बसर, मुझे इतना नहीं आता !

छलक जाते हैं आँसू, किसी के बिछुड़ने पर
सच है, रोना आता, मुझे मरना नहीं आता!

यूँ हज़ारों रास्ते हैं, मंज़िल तक पहुँचने के
यक़ीनन कहीं भी, मुझे बढ़ना नहीं आता।

अपने दे जाए दगा, तो भी सह लूँ मगर
बेवफ़ाई अपनों से, मुझे करना नहीं आता।

क्या-क्या ज़ब्त करूँ अब, अपने सीने में
सच है, हर ग़म, मुझे सहना नहीं आता।

क्यों नहीं देखता आईना, सब पूछते यहाँ
सच है, ख़ुद से इश्क, मुझे करना नहीं आता।

एक तस्वीर माँगी थी, तक़दीर नहीं 'सोनपंख'
या ख़ुदा ! तुमसे, मुझे कहना नहीं आता !

पंखराज........!!

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