मुसाफ़िर हैं हम तो चले जा रहे हैं बड़ा ही सुहाना ग़ज़ल का सफ़र है।
पता पूछते हो तो इतना पता है हमारा ठिकाना गुलाबी नगर है।

ग़ज़ल ही हमारा अनोखा जहाँ है ग़ज़ल प्यार की वो हसीं दासताँ है।
इसे जो भी सुनता है, वो झूमता है वो जादू है इसमें कुछ ऐसा असर है।

पंखराज...!!

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