जख्म जो आपकी इनायत है, इस निशानी को नाम क्या दे...।

अजीब शक्शियत हूँ खुद को जलना चाहता हूँ.....
में खुद को राख कर कहि भूल जाना चाहता हूँ....!

मेरे नसीब की खुशिया भी कब मिली मुझको??
बस अब तो उम्र भर आंसू बाहन चाहता हूँ.....!

ना जाने कितनी महोब्बत है रंज-ओ-गम है मुझे....
कोई भी दर्द हो दिल में छुपाना चाहता हूँ....!

बहा बहा ले ये आंसू बिखर चूका हूँ बहुत....
सिमट के रात में अब मुस्कुराना चाहता हूँ.....!

जिसे एक उम्र से दिल में बसा के रखा है,
वो राज आज में सबको बताना चाहता हूँ....!

वही याद है जो अच्छा कहा लोगो ने,
बकाया सरे सितम भूल जाना चाहता हूँ....!

मुझे ज़माने ने पत्थर समझ लिया है मगर,
में एक इंसान हूँ सबको बताना चाहता हूँ....!

जो मुझसे रूठ चुकी है ज़माने की खुशिया,
तो में भी खुशियो से अब रूठ जाना चाहता हूँ....!
वो मेरी ख्वाहिशें, वो मेरा खवाब, वो मेरी बेचन उम्र
रफ्ता रफ्ता फिर से पाना चाहता हूँ....!

कोई तो हो जो मुझे भी लगाये सीने से,
किसी को में भी गम अपना सुनना चाहता हूँ....!

पंखराज.....!!

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