आज इस साल की पहली बारिश होने के आसार बन रहे है..... आज दिन में नींद लग गयी थी...जब में सो कर उठा करीबन 3:46 बजे तो खिड़की से बहार का नजारा देखने लायक था....
तेज़ तूफानी हवा हर जगह को चीर कर मेरी खिड़की से अंदर मुझ तक पहुच रही थी,,
और मुझे ये बोल रही थी की आओ बहार देखो मौसम कितना सुहाना हो रहा है....
मौसम के इस सन्देश को सुन कर मेरे दिल में भी बाहर जाने की उमंग उमड़ी...
और में फ़ौरन दरवाजा खोल कर बाहर निकला....
बहार जिस तरह की खूबसूरती दिख रही थी..
वो सच में देखने और महसूस करने के लायक थी...
आसमान में एक तरफ तो काले घने बदल छाए हुए थे, दूसरी और आसमान स्वेत रंग की तरह साफ दिख रहा था...
फिर में अपने घर के छत पर चला गया...
वहा ठंडी ठंडी हवाए चल रही थी...
ठंडी हवा ने जैसे ही मुझे छुआ तो एक जाने पहचाने छुअन का अहसास हुआ...
अहसास बिलकुल उसी तरह का था...
जैसा अहसास मुझे उसके छूने से होता था..
शायद ये हवाए उससे मिल कर मुझ तक आ रही थी...या फिर यु कहू की उसी ने इन हवाओ को मेरे घर का रास्ता दिखाया हो...
ये क्या हुआ देखते ही देखते बारिश की रिमझिम बुँदे मेरे चेहरे पर गिरी... इन बूंदों से मुझे उसकी याद आ गयी याद है मुझे पिछले साल की बारिश में हम साथ में थे...
पहली बरसात में हम साथ में भीगे थे..
बरसात में भीगना मुझे इस लिए भी पसंद है..
क्योंकि कुछ देर के लिए ही पर मुझे उसके होने का अहसास तो होता है....
वो आज भू मेरे अंदर जिन्दा है...
मेरी कल्पनाओ में आज भी उसका जिक्र होता है..
खेर बरसात ने मुझे पूरा भीगा दिया था...
और छत से जमी की तरफ देखा तो पूरी जमी बरसात के पानी से भीग चुकी थी...
और इस नज़ारे को देख कर दो लतीफे मेरे जेहन में आये......
"उड़ती थी जो मुँह तक आज लिपटी है पाँव से....
ज़रा सी बारिश क्या हुई मिट्टी की फितरत बदल गई."
बरसात में भीगने मुझे शोक है...और ये तो पहली बारिश थी... बहुत मजा आया आज तो..
पंख राज.......!!
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