दिन गुजर रहे है बस.....

कोई उम्मीद अब दिल को न रही है तुझसे,
और ना कोई चाहत है तुझे पाने की,
यादो का गुलदस्ता बुने जा रहे है बस,
और बस इसी तरह दिन गुजर रहे है बस.....!!
मै जी तो रहा हूँ,
पर क्यों जी रहा हूँ ये पता नहीं है बस....!!
तुझे अपना बना नहीं पाया मै,
आखिर क्या कमी रह गयी ये सोचता रहता हु बस....!!

ये जनता हूँ की तुम अब भूल गयी हो मुझे,
और निकल फेका है दिल से भी मुझे....!!
खुश तो बहुत हो तुम आज और तड़प रहा हूँ में यहाँ,
चाँद पलो के गुजर जाने के बाद याद करोगी तुम मुझे....!!

तुम वफ़ा परस्तो से आँख क्या मिलोगे,
बेवफा खिलाडी हो जंग हर जाओगे,....!!
पंखराज

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