वो मेरी कसम लेती नहीं इल्जाम समझकर,
और दे देती है अपनी कसम इंसान समझकर....!!
वो जानती है मुझे उससे कितनी महोब्बत है,
फिर भी गुफ्तगू करती है अनजान समझकर.....!!
मेने उसे अपने दिल की धड़कन में बसाया है,
और वो दिल में रखती है मुझे मेहमान समझकर.....!!
अगर उसे हमसे महोब्बत नहीं है तो ना सही,
मगर क्यों इल्जाम देती है गुमनाम समझकर....!!
मेने अपनी सारी खुशिया उसके नाम कर दी,
और वो हमे प्यार करती है एहसान समझकर....!!
पंखराज.....!!
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