कोंन थी तुम.........सोन
हर रोज़ नया सवेरा,
हर सुहानी शाम थी तुम,
खामोश जिंदगी में आई,
एक आवाज थी तुम,
हर पल जी भर के जीने का,
एहसास थी तुम,
उदास चेहरे पर आई ,
एक प्यारी सी मुस्कान थी तुम,
फिर ना जाने क्यों आज पूछा खुद से,
क्या थी तुम, मेरी कोंन थी तुम....
पंखराज....
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