सुबह जिंदगी का सफ़र...

सूरज अपनी रफ़्तार से निकल रहा था...
और दिन की सुरुवात हो रही थी..
और सभी इसी रफ़्तार के साथ अपने अपने दिन की सुरुवात कर रहे थे...
बस एक में ही था जिसके पास कोई कम नहीं था...
न ही रफ़्तार में कोई जंग जितने की चाहत..
रोज की तरह आज भी माँ ने मुझे 7 बजे उठाया..
उठते ही चाय का कप मेरे सामने था..
चाय के साथ साथ पेपर पड़ रहा था..
पेपर का पहला ही पेज देखा...
तो उसमे भी जॉब्स के बारे में लिखा था...

"पोर्ट व शिपिंग सेक्टर लाऐगा 1 करोड़ जॉब्स..."

ये खबर पड़ कर सोच रहा था मै..
ये सरकार भी 1 करोड़ जॉब्स का वादा कर रही है..
यहाँ इंजीनियरिंग करने के एक साल बाद भी जॉब नहीं मिल रही है...
कितने ही मेरे साथ के दोस्त आज भी जॉब्स के जी भटक रहे है....
फिलहाल तो में भी जॉब्स के लिए भटक ही रहा हूँ...
वेसे तो दूर दूर तक कोई जॉब्स के आसार नजर नहीं आ रहे थे....
चलो भाई अब ज्यादा सोचूंगा जॉब्स के बारे में तो मेरा सर टाइम बाम की तरह फट जायेगा...
चोलो फिर शाम को मिलते है...
सबके दिन की सुरुवात हो गयी है... में भी अपने दिन की सुरुवात करू...

दो लाइन याद आ रही है...

"मंजिले कितनी भी ऊँची हों,
रस्ते हमेशा पेरो के निचे होते है,,..."
पंखराज.....

टिप्पणियाँ